विकास और विनाश के कारण कितना बदल दिया यह संसार। विकास और विनाश के कारण कितना बदल दिया यह संसार।
जात पात को त्याग कर बढ़ चले बस बढ़ चले जात पात को त्याग कर बढ़ चले बस बढ़ चले
रिश्ते- नाते बनने का, सिलसिला बढ़ता गया।। रिश्ते- नाते बनने का, सिलसिला बढ़ता गया।।
अपनी लिप्साओं की लिपा-पोती में हमने न जाने कितने प्राणियों के प्राण संकट में डाल दिए! अपनी लिप्साओं की लिपा-पोती में हमने न जाने कितने प्राणियों के प्राण संकट में डाल...
इंजीनियर छोड़, ग्रामीणों में विकास की अलख जगाई थी। इंजीनियर छोड़, ग्रामीणों में विकास की अलख जगाई थी।
हिन्द में हिन्दी का ज्ञान नहीं जिसको वह घोर अभागा है मानव। हिन्द में हिन्दी का ज्ञान नहीं जिसको वह घोर अभागा है मानव।